लेखनी कहानी -29-Sep-2023 फॉर्म हाउस
फॉर्म हाउस भाग 7
हीरेन के प्रश्नों से अदालत में खलबली मच गई और वीरेंद्र बहुत परेशान हो गया । जज अनिला तिवारी भी चौंक गई थी जब हीरेन ने वीरेंद्र पर राज मल्होत्रा की हत्या करने का आरोप मढ दिया था । इतनी देर में लंच टाइम हो गया और जज साहिबा डायस से उठकर चली गईं ।
मीना हीरेन के साथ कैंटीन में आ गई । हीरेन ने मीना की पसंद से इडली सांभर का ऑर्डर कर दिया । मीना को इडली सांभर बहुत पसंद है पर हीरेन को कोई खास नहीं । पर प्रेम में ऐसा ही होता है । प्रेमी /प्रेमिका की पसंद अपनी पसंद बन जाती है । दोनों बड़े चाव से इडली सांभर खाने लगे । "ये केस इतनी जल्दी सॉल्व हो जायेगा, मैंने तो सोचा ही नहीं था" । मीना हैरानी से हीरेन को देख रही थी । "अभी सॉल्व कहां हुआ है" ? हीरेन ने प्रश्न करते हुए कहा । "इसमें अब बचा ही क्या है" ? "यह कहां सिद्ध हुआ है कि खून वीरेंद्र ने ही किया है ? सजा के लिए तीन बातों का सिद्ध होना आवश्यक होता है । एक , अपराध करने का उद्देश्य , दूसरा घटना का घटित होना और तीसरा , अपराध में अपराधी की संलिप्तता होना । अभी इन तीनों में से एक भी बात सिद्ध नहीं हुई है । अभी तो मैंने बस आरोप लगाये हैं । सिद्ध अब करना होगा" । "आपने टाइम वाली बात बहुत शानदार कही थी । क्या वास्तव में वह 12.45 पर ही पहुंचा था शराब की दुकान पर" ? "मुझे नहीं मालूम" "पर आपने ही तो यह टाइम अदालत में बताया था । आपने सीसीटीवी कैमरे के हिसाब से कहा होगा ना" ?
मीना की बातों को सुनकर हीरेन को हंसी आ गई । "तुम भी जासूस बन रही हो" । हीरेन ने मीना को आंख मारते हुए कहा । हीरेन की इस हरकत पर मीना शर्म से लाल हो गई । गर्दन नीची करके बोली "आप हमारी खिंचाई कर रहे हैं ना" ? उसकी आवाज थोड़ी रूखी हो गई । "अरे नहीं यार , हम आपकी खिंचाई कर सकते हैं क्या ? हम तो सचमुच आपकी प्रशंसा कर रहे हैं । सीसीटीवी की रिकार्डिंग मुश्किल से एक महीना तक सेव रहती है । राज मलहोत्रा की हत्या को एक साल से ऊपर हो गया है इसलिए सीसीटीवी कैमरों से कुछ भी नहीं मिलेगा । ये तो हमने अंधेरे में तीर छोड़ दिया था । देखते हैं कि निशाने पर लगता है या नहीं । कुछ और लेना है अभी" ? "नहीं, पेट भर गया है। आप पान नहीं लेंगे" ? "नहीं, हमने पान खाना छोड़ दिया है" । "अरे , कबसे ? और कैसे" ? "देखो , मैं सच बताऊंगा तो मारोगे तो नहीं ना" ? हीरेन मुस्कुराते हुए बोला । "नहीं मारूंगी । अब बस" ? "वो क्या हुआ कि कल हम अपने घर से खाना खाकर निकले ही थे कि सामने से छमिया भाभी आ गईं । बस, हमें देखते ही वे हमारे पास आ गईं और ..." हीरेन अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही उसकी पीठ पर मुक्के बरसने शुरू हो गये । "अरे ये क्या कर रही हो ? वकीलों की फौज देख रही है । मेरी इज्ज़त का फालूदा बन रहा है । तुमने तो प्रॉमिस किया था ना नहीं मारने का , फिर ये सब क्या हो रहा है" ? हीरेन दुहाई देते हुए बोला "हां, किया था प्रॉमिस, पर आपने यह नहीं कहा था कि बात "छमिया" से संबंधित है । उस कमीनी का जब भी जिक्र होगा , मैं आपको इससे भी ज्यादा मारूंगी" । मीना कृत्रिम रोष प्रकट करते हुए बोली "ऐसा क्या बिगाड़ा ..." हीरेन के आधे शब्द उसके मुंह में ही अटक गये थे । मीना ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया था । सारे वकील उन दोनों को देखने लगे थे । हीरेन शर्म से पानी पानी हो गया और चुपके से वहां से खिसक लिया ।
लंच के बाद कोर्ट फिर से बैठी । हीरेन कुछ बोलता उससे पहले सरकारी वकील बोला "मी लॉर्ड, बचाव पक्ष के वकील एक गरीब प्राणी पर झूठे इल्जाम लगा रहे हैं । इनके पास कोई सबूत हों तो उन्हें अदालत में प्रस्तुत करें और फिर आरोप लगायें" । "मी लॉर्ड ! मेरे पास सारे सबूत हैं । पहले वीरेंद्र यह बताये कि वह फॉर्म हाउस पर वापस कब पहुंचा" ? हीरेन ने जज साहिबा की ओर देखते हुए कहा । "बताइए, आप वहां कब पहुंचे" ? जज साहिबा ने वीरेन्द्र से पूछा । "हुजूर , मैं तो चार बजे के आसपास ही पहुंचा था फॉर्म हाउस पर" । वीरेंद्र ने सहमते हुए कहा । "आप फॉर्म हाउस से सीधे शराब की दुकान पर और शराब की दुकान से सीधे फॉर्म हाउस पर आये थे या बीच में कहीं और भी गये थे" ? हीरेन ने एक एक शब्द पर जोर देकर पूछा । "साहब , मैं तो सीधा शराब की दुकान पर गया था और वहां से वापस फॉर्म हाउस ही आया था । बीच में कहीं और नहीं गया" । "ठीक है , मैडम । मैं अभी आपको यह बात सिद्ध करता हूं कि वीरेंद्र झूठ बोल रहा है । मुझे एक गवाह प्रस्तुत करने की इजाजत दी जाये" । "इजाजत है" । जज साहिबा ने इजाजत दे दी ।
हीरेन ने विवेक को इशारा किया और वह कमरे से बाहर चला गया । विवेक अपने साथ एक व्यक्ति को लेकर आया । वह व्यक्ति विटनेस बॉक्स में आकर खड़ा हो गया । "आपका नाम और पता बताइये" "जी मेरा नाम किशोर कुमार है और मैं वीरेंद्र का पडोसी हूं" "वीरेंद्र का पडोसी ? वीरेंद्र तो फॉर्म हाउस में रहता है और यहां आसपास तो कोई मकान नहीं है । फिर तुम पडोसी कैसे हुए" ? "वीरेंद्र तो हमारे मौहल्ले "हजरतगंज" में रहते हैं । मेरे घर के दो घर आगे ही इनका मकान है" । "ठीक है । ये बताइये कि घटना वाली रात आपने क्या देखा था" ? "साहब , उस रात बहुत जोरों से बरसात हो रही थी । मैं जल्दी ही सो गया था । मेरे बीवी बच्चे गांव गये हुए थे । मैं अकेला ही था घर में । अचानक जोर से बादल कड़के और मेरी नींद खुल गई । मैं बिस्तर में बहुत देर तक ऐसे ही पड़ा रहा । अचानक एक गाड़ी मेरे मकान के पास आकर रुकी । मैंने खिड़की में से झांका । वीरेंद्र अपने साहब की गाड़ी लेकर आया था । मैं बाहर बरामदे में आ गया । वीरेंद्र के साथ एक औरत और थी । वीरेन्द्र के पास एक बैग भी था" । अब तो वीरेंद्र की पोल खुल गई थी । किशोर ने वीरेंद्र के झूठ की पोल खोल दी थी । इसका मतलब यह हुआ कि वीरेंद्र फॉर्म हाउस पर आने से पहले हजरतगंज गया था । पर क्यों ? यह प्रश्न अभी बकाया था । हीरेन ने आगे पूछना शुरू किया "उस औरत को पहचानते हो क्या" ? "हां, पहचानते हैं" । "ठीक है । मैं फोटो दिखाता हूं , पहचान कर बताना" । विवेक कुछ फोटोग्राफ लेकर आ गया । एक फोटो को दिखाकर हीरेन ने पूछा "क्या ये थी" ? किशोर ने उस फोटो को गौर से देखा और कहा "हां, यही औरत थी" । हीरेन ने वह फोटो अदालत को देते हुए कहा "मी लॉर्ड, यही वह औरत है जो उस रात वीरेन्द्र के साथ थी" । फिर हीरेन किशोर की ओर मुड़कर "क्या नाम है इसका" ? "पूजा" "पूजा नहीं , पवित्रा होगा । जरा याद करो" । "पूजा ही बोलते हैं सब उसे । मेरी बीवी की तो वह खास सहेली है । हमारे घर भी आती जाती रहती है । वह इसलिए मैं उसे अच्छी तरह से जानता हूं" किशोर पूरे विश्वास के साथ बोला "वह औरत वीरेन्द्र की क्या लगती है" ? "लो कर लो बात" ! किशोर पूरे मूड में आ गया था "घर में रहने वाली औरत बीवी ही कहलाती है साहब । और कुछ" ? अब हीरेन ने जज साहिबा से कहा "बड़ी विडंबना है जज साहिबा , वीरेन्द्र की दो दो बीवियां हैं । एक गांव में रहती है और दूसरी यहां हजरतगंज में । दूसरी बीवी और कोई नहीं पवित्रा ही है । क्यों है ना वीरेन्द्र" ?
इस रहस्योद्घाटन से अदालत में हड़कंप मच गया । सब लोग एक दूसरे का मुंह देखने लगे । सबके चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे ।
शेष अगले अंक में श्री हरि 5.10.23
RISHITA
13-Oct-2023 01:08 PM
Amazing
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hema mohril
11-Oct-2023 09:25 PM
V nice
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Punam verma
05-Oct-2023 08:31 AM
Very nice
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